लड़कियों पर क्यों होते अत्याचार ,
मिलती है प्रताड़ना हर कदम पर ,
गलती चाहे जिसकी भी हो पर ,
सबकुछ सहन उसे ही करना पड़ता |
यह दुनिया भी अजीब सी हो गयी ,
सब देखते हुए अनजान बन गयी ,
उसकी भावनाओ को कोई नहीं समझता ,
लगता है सबकी मर चुकी है भावना |
सुनते नहीं आवाज कोई उसकी ,
वो किसे सुनाये दिल-दर्द अपनी ,
सारे कष्टो को अपने दिल में समेटे ,
बड़ी आकांक्षाओ को अंदर ही दबाये |
अंदर ही अंदर घूंट- घूंट कर जीती ,
आखिर कौन है सुनने वाले उसकी ,
जो भी बने हुए थे उसके अपने ,
वहीं ठहरने लगे है गुनहगार उसे |
ऐसी परिस्थिति क्यों बनी है उसकी ,
मैं भी कुछ समझ नहीं पाती |..
.....निवेदिता चतुर्वेदी ..
रविवार, 12 अप्रैल 2015
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015
तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे।
तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमें छोड़ कर आखिर कहाँ जाओगे। मैं आश लगाये बैठीं हूँ, कब मेरे सपने पुरा करोगे। तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमें ये भी पता है,तुम पुरा करेंगे। पर कुछ परेशानियां तो दोगे ही। परेशानियां ही सही पर पुरा तो करोगे। तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमे तुम पर पुरा यकीन भी है। कि तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगे। यदि छोड़ भी दिया तो क्या? बुलाने पर तो आओगे। तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। ------निवेदिता चतुर्वेदी
प्रसन्नता का रहस्य।
शनिवार, 4 अप्रैल 2015
नारी "
बन्द करो ये अत्याचार,
नारी करने लगी पुकार।
बन्द करो ये अत्याचार।
कब तक होगा ये परहेज़,
कोई न लेगा तिलक दहेज।
बेटी वाले घर में रोये,
बेटा वाले सुख से सोये।
कब तक बेटी रहे लाचार।
बन्द करो ये अत्याचार।
आज भी जन्मी कितनी गीता,
राधा हो या मीरा सीता ।
पर पुरूष अधिकार जमाते,
रावण दुशासन ले अवतार।
नारियों पर कहर बरसाया,
बन्द करो ये अत्याचार।
आओ बहन इसे सुलझाये,
लक्ष्मीबाई रूप अपनाए।
अब हम सहेगे न भ्रष्टाचार,
हमसे अब न होगी अत्याचार।
नारी करने लगी पुकार,
बन्द करो ये अत्याचार।
-----निवेदिता चतुर्वेदी
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