नवकुसुम

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रविवार, 12 अप्रैल 2015

अत्याचार

लड़कियों पर क्यों होते अत्याचार , मिलती है प्रताड़ना हर कदम पर , गलती चाहे जिसकी भी हो पर , सबकुछ सहन उसे ही करना पड़ता | यह दुनिया भी अजीब सी हो गयी , सब देखते हुए अनजान बन गयी , उसकी भावनाओ को कोई नहीं समझता , लगता है सबकी मर चुकी है भावना | सुनते नहीं आवाज कोई उसकी , वो किसे सुनाये दिल-दर्द अपनी , सारे कष्टो को अपने दिल में समेटे , बड़ी आकांक्षाओ को अंदर ही दबाये | अंदर ही अंदर घूंट- घूंट कर जीती , आखिर कौन है सुनने वाले उसकी , जो भी बने हुए थे उसके अपने , वहीं ठहरने लगे है गुनहगार उसे | ऐसी परिस्थिति क्यों बनी है उसकी , मैं भी कुछ समझ नहीं पाती |.. .....निवेदिता चतुर्वेदी ..

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