नवकुसुम

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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

प्रसन्नता का रहस्य।


प्रसन्नता मनुष्य के सौभाग्य का चिन्ह है।प्रसन्नता एक अध्यात्मिक वृत्ति है,एक दैविय चेतना है सत्य तो यह है कि प्रमुदित मन वाले व्यक्ति के पास लोग अपना दुख दर्द भूल जाते हैं।जीवन में कुछ न होने पर भी यदि किसी का मन आनंदित है तो वह सबसे सम्पन्न मनुष्य है।आन्तरिक प्रसन्नता के लिए किन्हीं बाहरी साधन की आवश्यकता नहीं होती,क्यों कि प्रसन्नचित्त एक झोपड़ी में भी सुखी रह सकता है।प्रसन्न मन में ही अपनी आत्मा को देख सकता है।पहचान सकता है।सत्य तो यह है कि जो विकारो से जितना दूर रहेगा। वह उतना ही प्रसन्नचित्त रहेगा।शुद्ध हृदय वाली आत्मा सदैव ईश्वर के समीप रह सकती है।हर कोई चाहता है कि उसका भविष्य उज्ज्वल बने सदा प्रसन्नता उसके साथ हो।इच्छा की पूर्ति तनिक भी असम्भव नहीं है,यदि हम अपने विचारों पर नियंत्रण करना सीख ले,एवं कुविचारों को हटाना ।सद्विचारों में एक आकर्षण शक्ति होती है।जो सदैव हमें प्रसन्न ही नहीं बल्कि परिस्थितियों को भी हमारा दास बना देती है। ------------निवेदिता चतुर्वेदी

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