नवकुसुम

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मंगलवार, 30 मई 2017

नारी

नारी को मत समझो अबला 
नारी सदा रही है सबला
क्यो पड़े हो इसके पीछे
अपने को संभालो जरा
नित्य नये नये करते हो तांडव 
इस तांडव से बच नही पाओगे 
अरे ये वही सीता मां का रूप है नारी
जिसके कारण लंका का विनाश हुआ
उस द्रोपदी को याद करो
जिसके कारण कौरवो का नाश हुआ
उस दुर्गा मां का ध्यान करो
जिनके हुंकार मात्र से धुम्रलोचन का नाश हुआ
अरे झाँसी और झलकारी को भूल गये 
जिसने फिरगीयो के छक्के छुड़ा दिये
अब भी तुम कुछ चिंतन करो
क्या क्या रूप है नारी का
तांडव करने वालो के लिये
विकराल काली की रूप है नारी 
और सम्मान करने वालो के लिये
ऑचल मे सदा बहती
ममता वात्सल्य की धारा है नारी।
निवेदिता चतुर्वेदी 'निव्या'

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