नवकुसुम

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रविवार, 24 जनवरी 2016

मुक्तक


मार कुल्हाडी पैरों में क्यों  कर रहे हो बर्बादी।
काटकर हरें भर्रे वृक्षों को बुला रहे हो तबाही।
वृक्ष न रहें तो पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा
असंतुलित होगा पर्यावरण कौन देगा गवाही।।
_______________________निवेदिता चतुर्वेदी

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