नवकुसुम

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गुरुवार, 14 मई 2015

यादें

आज आपकी यादों में आँखें भर आई .............
क्या कहुँ क्या सुनु कुछ समझ न आयीं |
बीतें हुए पलों को याद करके  उदासी छायीं |
जहाँ भी मैं रहती वहाँ अकेलापन महशुस करती |
आज आपकी यादों ......................

याद आती है वो पलें जब साथ रहा करती थी |
साथ ही साथ हँसा, बोला ,खेला,करती थी |
कभी भी आपसे बिछड़ने की आशा नहीं रखी थी |
आज आपकी यादों .................

परेशानियां भी आती तो आपको ही बताती |
तभी मेरा मन हल्का हो जाती |
आप भी मेरे हर सुख -दुःख में साथ निभाती |
आज आपकी यादों ...............

आज किसे सुनाउ मैं अपनी बातें |
जो बातें आपको सुनाया करती थी |
आपभी प्यारी -प्यारी बातों से भरमाया करती थी |
आज आपकी यादों ...............

वो दिन भी आज याद आ गए |
जब मैं ऑफिस से घर आया करती |
आपने ही तो मेरे लिए नास्ता तैयार रखती |
आज आपकी यादों .................

काश ! वो दिन फिर से आ जाएँ |
हम और आप साथ-साथ हो जाएँ |
फिर से एक जूट हो कर सबको हंसाएं |
आज आपकी यादों ..........
                                 निवेदिता चतुर्वेदी 



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