नवकुसुम

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रविवार, 29 मार्च 2015

कन्या भ्रूणहत्या

कन्या भ्रूण हत्या एक बड़ा घिनौना अपराध है।यह करके मनुष्य आज और कल दोनों को अंधकार मय बना रहा है।उस अबोध शिशु का क्या अपराध जिसे इस धरा पर पैर रखने से पहले ही मार दिया जा रहा है।आखिर उसने एैसा क्या कर दिया जिससे लोग उसके जान के दुश्मन बन गये।
         उसका यही अपराध था न कि वो लड़की पैदा होने वाली थी सिर्फ़ जुल्म लड़कियो के लिये ही लड़को के लिए नही ये घोर अन्याय ही नहीं घोर पाप हैं।इससे यह साबित होता है कि आज भी हमारे समाज में लड़का-लड़की में भेद भाव देखने को मिल रहा है
लड़कियों को लड़को के समान नहीं मिलता। लड़का- लड़की में भेद -भाव हमारे जीवन मूल्यों में आई खामियों को दर्शाता है।कन्या भ्रूण हत्या को बढावा देने वाले कुछ कारण में दहेज नाम का एक अभी शाप ऐसा है जो कन्या भ्रूण हत्या को और फैलाने सहायक है मँहगाई और गरीबी में कैसे -कैसे इन्सान अपने परिवार का पेट पालते हैं और उसके बाद दहेज की चिंता एक गरीब के लिए दहेज बोझ इतना अधिक होता हैं कि वह चाहकर भी अपनी देवी रूपी को उतना प्यार नहीं दे पाता जितने की वो हकदार होती है ।
          लेकिन यह कन्या विरोधी नजरिया सिर्फ गरीब परिवारों तक सीमित नहीं हैं,अमीर दिखते लोगों में तो ज्यादा पैर पसार चुकी है अगर देखा जाए तो एक बड़ा दोष धार्मिक km मान्यता का भी जो सिर्फ पुत्र को ही पिता या माता को मुखाग्नि देने हक देती है माँ बाप के बाद पुत्र को ही वंश आगे बढ़ाने का काम दिया जाता है।हिन्दू धर्म में लड़कियो को पिता चिता में आग 🔥 लगाने की अनुमति नहीं होती हैं।
          कन्याओं पर बढता अत्याचार समाचारों एक आम हिस्सा हो गया है जितनी लड़किया बलात्कार दहेज और अन्य मानसिक और शारीरिक अत्याचारों से सताई जाती है।उनसे कई सौ गुना ज्यादा तो जन्म लेने से पहले ही मार दी जाती है वाणी और विचार में नारी को देवी का दर्जा देने वाले किन्तु व्यवहार में नारी के प्रति हर स्तर पर घोर भेदभाव बरतने ह उसपर अमानुषिक अत्याचार करने वाले हमारे समाज का यह क्रुरतम रूप है बेटियों को कम आँकने वाले और उनकी हत्या करने वाले जरा अपनी माँ की तरफ देखो यह वही है जिसने तुम जैसों  को जन्म देकर इतना पबड़ा बनाया और आज तुम्हीं उसके अस्तित्व को मिटाने चले हो।
          आज देश के सामने विकट समस्या है लड़कियो का अनुपात लड़को की अपेक्षा कम होता जा रहा है।
                        ------निवेदिता चतुर्वेदी
                                 ०५-०२-२०१५
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